सवाल: हीनयान से आप क्या समझते हैं?
बौद्ध धर्म दो शाखाओं में बटा हुआ था। (हिनयान - महायान ) हीनयान निम्न वर्ग महायान उच्च वर्ग में था। हिनयान एक व्यक्ति वादि धर्म था, जो ये मार्ग केवल भिक्षुओं के लिए संभव था। हिनयान समप्रदाय के लोग परिवर्तन और सुधार के विरोधी थे। ये बौद्ध धर्म का पुराने आद्धशों को ज्यों, त्यों, बनाए रखना चाहते थे हिनयान सम्प्रदाय सभी पाली भाषा में लिखे गये थे। हिनयान बुद्धजी को भगवान नही मानते थे एक महा पुरुष के रूप में बुद्धजी की पुजा करते थे। हिनयान की साधना बहुत कठोर थी। हिनयान सम्प्रदाय श्रीलंका, बर्मा, जावा आदि देशों तक फैला हुआ है। बाद में ये सम्प्रदाय दो भागों में विभाजित हो गया वैभाष्क और सौत्रान्तिक में वैभाषक की उत्पत्ति कश्मीर में हुई थी सौंत्रारिक तंत्र मंत्र सें सम्बंधि है।
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