सवाल: प्रकाश के प्रकीर्णन को समझाइए? प्रकाश के प्रकीर्णन का मतलब होता है प्रकाश की चुम्बकीय या विभवात्मक विचरण की प्रक्रिया को समझना या वर्णित करना। यह एक विज्ञानिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रकाश एक स्रोत से उत्पन्न होता है, एक वस्तु से टकराता है और फिर इंगित करके या अन्य प्रकार के प्रकाश के साथ इंटरैक्ट करके हमें प्रतीत होता है। जब प्रकाश एक वस्तु पर पड़ता है, तो यह वस्तु इसे अवशोषित, परावर्तित, विकिरणित या अद्यावत कर सकती है। इन प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप, हम प्रकाश के विभिन्न गुणों जैसे रंग, आभा, उच्च या निम्न आयाम, विकिरण आदि को देख सकते हैं। यह प्रक्रिया मूल रूप से प्रकाश के वेवलेट और गुणों की विभिन्न प्रोपर्टीज़ पर निर्भर करती है। जब किसी वस्तु पर प्रकाश पड़ता है, तो उस वस्तु में मौजूद धातुओं और अणुओं के साथ इंटरैक्शन के परिणामस्वरूप विभिन्न गुणों का प्रकाश में प्रकट होने लगता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से हम उन वस्तुओं को देख, पहचान और अनुभव कर सकते हैं जो प्रकाश के प्रकीर्णन द्वारा हमें प्राप्त होती हैं।
सवाल: कैसे बनता है रेडियो नाटक?
दृश्य घटक बिना संवाद संगीत ध्वनि प्रभाव पर निर्भर करता है ताकि वह श्रोताओं को पात्रों व कल्पना करने में सहायक हो रेडियो नाटक में विशेष रुप से डॉक्यूड्रामा शामिल है। रेडियो नाटक को अदृश्य नाटक भी कहा जाता है क्योंकि उसे देखा नहीं जा सकता केवल सुना ही जा सकता है, इसमें मुख्य भाषा, संवाद नैरेशन ध्वनि रेडीयो नाटक के प्रमुख उपकरण है। रेडियो नाटक में सर्वप्रथम नाटक रिचर्ड ह्युज द्वारा ए कॉमेडी ऑफ डेंजर जनवरी 1924 में ब्रिटेन के लेखक ने लिखा था और राजकुमार वर्मा ने रेडियो नाटक को ध्वनि नाटक भी कहा था।
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