आचार्य भरतमुनि के अनुसार रस की परिभाषा? Aachary bharatamuni ke anusaar ras ki paribhasha?


सवाल: आचार्य भरतमुनि के अनुसार रस की परिभाषा?

आचार्य भरतमुनि के अनुसार रस की परिभाषा यह है की विभाव अनुभाव और व्यभिचारी भाव के संयोग से रस की उत्पत्ति होती है। नाट्यशास्त्र में भरतमुनि ने रसों की संख्या आठ मानी है श्रृंगार रस, हास्य रस, करुण रस, रौद्र रस, वीर रस, भयानक रस, वीभत्स रस, अद्भुत रस।

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